'पाणिनीय अष्टाध्यायी का परिचय' (हिन्दी पाठ्यक्रम)
पाठ्यक्रम शीर्षक: पाणिनीय अष्टाध्यायी का परिचय: संरचना, तर्क और भाषाशास्त्र
पाठ्यक्रम कोड: SG-001
क्रेडिट घंटे: 3
स्तर: स्नातक (ऐच्छिक) / स्नातकोत्तर आधार पाठ्यक्रम
पाठ्यक्रम का परिचय
यह पाठ्यक्रम पाणिनि के महान व्याकरण ग्रंथ अष्टाध्यायी का सुनियोजित परिचय प्रदान करता है। इसमें छात्रों को संस्कृत व्याकरण की 4000 सूत्रों की इस संक्षिप्त प्रणाली की संरचना, तकनीकी परिभाषाएं (संज्ञा), मेटा-नियम (परिभाषा), और सूत्र निर्माण की विधि से अवगत कराया जाएगा। यह पाठ्यक्रम तार्किक अनुक्रम, नियमबद्ध विश्लेषण और मूल उदाहरणों पर आधारित अभ्यास को केंद्र में रखता है।
पाठ्यक्रम उद्देश्य
इस पाठ्यक्रम की समाप्ति पर छात्र:
अष्टाध्यायी की संरचनात्मक व्यवस्था को समझ सकेंगे।
संस्कृत व्याकरण में प्रयुक्त प्रमुख संज्ञाओं और शब्दों की पहचान कर सकेंगे।
सरल सूत्रों का विश्लेषण और प्रयोग कर सकेंगे।
पाणिनीय परिभाषाओं की भूमिका को समझ सकेंगे।
व्याकरण और शास्त्रीय अध्ययन की उच्च शिक्षा हेतु तैयार हो सकेंगे।
पाठ्यक्रम खंड और साप्ताहिक योजना
खंड I: पाणिनि का जीवन और दार्शनिक पृष्ठभूमि (सप्ताह 1)
पाणिनि का जीवन एवं काल
भारतीय व्याकरण परंपरा की रूपरेखा
आधुनिक भाषाशास्त्र पर प्रभाव
पठन सामग्री:
Vedic Theory of the Origin of Language, by Prof. Ravi Prakash Arya
खंड II: अष्टाध्यायी की संरचना (सप्ताह 2–3)
आठ अध्याय और चार पादों की व्यवस्था
धातुपाठ, गणपाठ, उणादि सूत्रों का परिचय
अनुवृत्ति की अवधारणा
पठन सामग्री:
अध्याय 2 और 3; सूत्र 1.1–1.4 तक उदाहरण सहित
पाणिनि की अष्टाध्यायी छह माह में सीखना – ब्रह्मदत्त जिज्ञासु
खंड III: संज्ञा सूत्र – तकनीकी संज्ञाएँ और संकेत (सप्ताह 4–5)
इत् वर्णों, अनुबन्धों का प्रयोग
प्रत्यय, धातु, प्रातिपदिक, पद की परिभाषा
सूत्र संक्षेपण पद्धति और संकेत प्रणाली
पठन सामग्री:
सूत्र 1.3.1 से 1.3.10 तक सूत्रों का अध्ययन
पाणिनि की अष्टाध्यायी छह माह में सीखना – ब्रह्मदत्त जिज्ञासु
पाणिनि की अष्टाध्यायी पर टीका – ब्रह्मदत्त जिज्ञासु
खंड IV: परिभाषा सूत्र और नियम नियमवली (सप्ताह 6–7)
परिभाषा सूत्रों की अवधारणा और महत्त्व
उदाहरण: "असति प्रत्यये", "विप्रतिषेधे परं कार्यम्"
नियमों का संघर्ष और प्राथमिकता सिद्धांत
पठन सामग्री:
पाणिनि की अष्टाध्यायी छह माह में सीखना – ब्रह्मदत्त जिज्ञासु एवं
पाणिनि की अष्टाध्यायी पर टीका – ब्रह्मदत्त जिज्ञासु से चयनित सूत्र
खंड V: प्रत्ययों और धातुओं से शब्द निर्माण अभ्यास (सप्ताह 8–10)
संज्ञा और क्रिया निर्माण हेतु प्रत्ययों का प्रयोग
तद्धित, कृत और तिङ् प्रत्ययों की प्रक्रिया
धातु से पद तक की प्रक्रिया (प्रक्रिया श्रृंखला)
पठन सामग्री:
वेदांग प्रकाश- स्वामी दयानन्द सरस्वती
अष्टाध्यायी के चयनित सूत्र और उनके प्रयोग
खंड VI: सूत्रों की व्याख्या और टीका परंपरा (सप्ताह 11–12)
कात्यायन के वार्तिक और पतंजलि के महाभाष्य की भूमिका
समर्थ्य, लक्षणा की अवधारणा
एक ही सूत्र पर विभिन्न टीकाकारों के दृष्टिकोण
पठन सामग्री:
महाभाष्य से सूत्र 1.1.1 और 1.1.68 पर महाभाष्य और काशिका की व्याख्याओं की तुलना
खंड VII: पाणिनीय व्याकरण का आधुनिक प्रभाव (सप्ताह 13–14)
भारतीय तर्कशास्त्र, संगणन विज्ञान और व्याकरण पर प्रभाव
यूनेस्को द्वारा मान्यता
लातिन, यूनानी और आधुनिक व्याकरण की तुलना
पठन सामग्री:
Vedic Theory of the Origin of Language, by Prof. Ravi Prakash Arya
Understanding Pāṇini from Pāṇini’s Perspective, by Prof. Ravi Prakash Arya
Vedic and Classical Sanskrit- A Contrastive Analysis of Phonological and Morphological Features, by Prof. Ravi Prakash Arya
प्रमुख ग्रंथ
वेदांग प्रकाश- स्वामी दयानन्द सरस्वती
पाणिनि की अष्टाध्यायी छह माह में सीखना – ब्रह्मदत्त जिज्ञासु
पाणिनि की अष्टाध्यायी पर टीका – ब्रह्मदत्त जिज्ञासु
अष्टाध्यायी भाष्य – स्वामी दयानन्द सरस्वती
सहायक संसाधन
Vedic Theory of the Origin of Language, by Prof. Ravi Prakash Arya
Understanding Pāṇini from Pāṇini’s Perspective, by Prof. Ravi Prakash Arya
Vedic and Classical Sanskrit- A Contrastive Analysis of Phonological and Morphological Features, by Prof. Ravi Prakash Arya
Course Fees:
Course Registration Fee is USD 299.
At VSVV, we support excellence by providing merit-based scholarships and fee waivers to deserving students.
VIP Variant four individual Zoom sessions of 45 minutes to 1 hour each
Course Fee : USD 1277
We have limited seats for the VIP Variant. To apply for VIP variant, submit your consent here with explanation as to why you consider yourself qualified for the VIP variant of the program. Selected applicants will be invited for personal Zoom session, after which final admission decisions will be taken and and the selected applicants will be informed.
Course Start Dates:
All digital correspondence and video courses will be offered four times a year, scheduled in alignment with the Vedic Calendar.
1. Uttarāyaṇa Period (Winter Solstice): Dec. 21 to 20 March
2. Devayāna Period (Vernal Equinox): 21 March to 20 June
3. Dakṣiṇāyana Period (Summer Solstice): 21 June to 22 Sept.
4. Pitṛyāna period (Autumn Equinox): 23 Sept. to 20 Dec.
Note: Course access will remain open only for the specified duration. Participants are advised to complete and access all course materials within this period, as access will not be available once the course window closes.
Registration will open soon
- Those who want to participate in the course can register hereunder:
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